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माय सिटी माय प्राइड के कारण शहरों में हुआ इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर के क्षेत्र में काम

माय सिटी माय प्राइड अभियान में शामिल 10 शहरों की कई कमियों को अभियान के दौरान सही किया गया ।

By Krishan KumarEdited By: Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:34 AM (IST)

नई दिल्‍ली, जेएनएन: कोई भी देश उतना ही विकसित होता है, जितना बेहतर उसका इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर होता है। अर्थव्‍यवस्‍था को बेहतर करने के लिए इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर की स्थिति क्‍या है? यह बेहद मायने रखती है। किसी भी देश की प्रगति उसके इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर पर निर्भर करती है। दैनिक जागरण और जागरण न्‍यू मीडिया के माय सिटी माय प्राइड अभियान में इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर शहर के विकास मानकों में एक महत्‍वपूर्ण पिलर था। खास बात यह रही कि 110समाधानों में से सबसे ज्‍यादा 44 इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर के थे,यानी आपने बतौर हमारे पाठक और यूजर के तहत माना कि इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर में सबसे ज्‍यादा बदलाव की जरूरत है। ऐसे में बतौर पाठक आपकी यह जिम्‍मेदारी है कि आप अपने शहर में हुए बदलाव के बारे में हमे बतायें। 

देहरादून की बात की जाए तो यहां कचरा निस्तारण एक बड़ी चुनौती माना गया था। जिसमें यूजेवीएनएल ने आश्‍वसत किया था कि वह सीएसआर फंड से शहर की विभिन्न कॉलोनियों में 10 कंपोस्टिंग यूनिट लगवाएगा। दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट ने भी मदद की बात की थी।
वहीं, लखनऊ में आलमबाग, भूतनाथ और यहियागंज में सफाई अभियान चलाने की बात हुई थी। इस बावत बाजार में पांच हजार डस्‍टबिन रखने की बात तय हुई थी। यह पूरा भी हुआ। हालांकि, भूतनाथ बाजार में अब भी गंदगी पसरी हुई है।
गोमतीनगर और पत्रकारपुरम क्षेत्र में सुलभ शौचालयों का निर्माण किया गया और कई निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। इंदिरानगर में कई पार्क संवारने का काम शुरू हो चुका है। मेरठ में बदलाव की बयार दिखी है, यहां लोग अपने जेब के खर्चे से शास्‍त्रीनगर में पार्क को खुद के पैसे से सुंदर करने की पहल कर रहे हैं।

यूपी के प्रमुख औद्योगिक शहरों में शुमार कानपुर भी इस अभियान का अहम हिस्‍सा था। यहां जाम, पार्किंग गंदगी अहम मुद्दा था। अभियान के दौरान विधान पर‍िषद सदस्‍य डॉ अरुण पाठक ने पनकी रोड को मॉडल रोड बनाने की भी बात कही थी। कभी भारत का मैनचेस्‍टर कहा जाने वाला कानपुर की ब्रांडिग न हो पाना एक अहम मुद्दा रहा है, ऐसे में इसकी ब्रांडिंग की जिम्‍मेदारी तिरंगा अगरबत्‍ती के नरेंद्र शर्मा ने ली थी। बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सीसामऊ के कपड़ा व्‍यापारियों और व्‍यापार मंडल ने हामी भरी थी। झारखंड की राजधानी रांची में जाम लगना अहम मुद्दा माना गया था। इसे ठीक करने की जिम्‍मेदारी परिवहन, पथ निर्माण और यातायात विभाग ने संयुक्‍त रूप से ली थी।

पटना और वाराणसी में दिखा बदलाव : इसी तरह वाराणासी में माय सिटी माय प्राइड अभियान के कारण औद्योगिक क्षेत्रों की सड़कें बेहतर हुई हैं। वहीं, पटना की बात की जाये तो यहां गांधी मैदान के पास यूरिनल भी लगाये जा चुके हैं।

लुधियाना में हुआ है विकास : माय सिटी माय प्राइड अभियान के दौरान लुधियाना में भी इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर से सम्‍बंधित कई मुद्दे उठे थे। उनमें इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। राज्य सरकार ने केंद्रीय सिविल एविएशन मंत्रालय के साथ एमओयू साइन कर दिया है। ऐसे में उम्‍मीद जताई जा रही है कि जल्दी एयरपोर्ट का काम शुरू हो जाएगा। बुड्ढा दरिया की सफाई के लिए बनाई गई टास्क फोर्स ने सफाई का काम शुरू कर दिया। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों को अपग्रेड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। दरिया में केमिकल युक्त पानी न गिरे इसके लिए डाइंग उद्यमियों ने सीईटीपी बनाना शुरू कर दिया।

यहां यह जरूरत : इंदौर में शहर के कॉलोनियों में काफी खाली जमीन है, इन जगहों को पार्कों में तब्दील करने की जिम्‍मेदारी नगर निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण ने ली थी। सांवेर रोड और तीन इमली-पालदा क्षेत्र को पानी और सड़कों की परेशानी से छुटकारा दिलाने की बात तय हुई थी। इसकी जिम्‍मेदारी स्थानीय एजेंसियां, नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण को दी गई थी।